Bhairav Chalisa

Bhairav Chalisa Lyrics in Hindi

The Bhairav Chalisa is a prayer dedicated to Lord Bhairav, a fierce form of Lord Shiva. It gives courage and strength to those who chant it. People recite it to ask for blessings, protection, and power. The Chalisa is written in simple poetry that praises Lord Bhairav’s ability to destroy evil.

The verses in the Chalisa talk about Lord Bhairav’s greatness and share stories of how he helps his devotees. It encourages people to stay fearless and reminds them that Lord Bhairav is always there to protect them. Many believe that chanting the 40 verses of the Bhairav Chalisa removes problems, brings success, and helps calm the mind.

The Bhairav Chalisa is often recited during worship, especially on occasions like Bhairav Jayanti or when Lord Shiva is worshipped. Many people also chant it daily to feel closer to Lord Bhairav and seek his guidance in life. It is easy to follow and helps you focus during prayer.

Bhairav Chalisa

॥ दोहा ॥

श्री गणपति गुरु गौरी पद
प्रेम सहित धरी माथ ।
चालीसा वंदन करो
श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरन
मंगल करन कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु
लोचन लाल विशाल ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुटवाला ॥

जयति बटुक-भैरव भय हरी ।
जयति काल-भैरव बलकारी ॥

जयति नाथ-भैरव विख्याता ।
जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥

भैरव रूप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतरन कारण ॥

भैरव रव सुनी हवै भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥

शेष महेश आदि गुण गयो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥

जटा जूट शिर चंद्र विराजत ।
बाला मुकुट बिजयथ साजत ॥

कटि करधनी घुंघरू बजत ।
दर्शन करत सकट भय भजत ॥

जीवन दान दास को दीन्ह्यो ।
कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥

वसि रसना बानी सरद-कली ।
दीन्ह्यो वर रख्यो मम लली ॥

धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनोरंजन खल दल भंजन ॥

कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुइयश नहीं थोड़ा ॥

जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥

रूप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहूं लोचन ॥

अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बम बम बम शिव बम बम बोलत ॥

रुद्रकाय काली के लाला ।
महाकालहू के हो काला ॥

बटुक नाथ हो काल गंभीर ।
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥

करत निनाहूं रूप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहां शुभ आशा ॥

रत्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥

तुमही जय काशिहिन जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहां दर्शन पावहिं ॥

जय प्रभु संहारक सुनंद जय ।
जय उन्नत हर उमा नंद जय ॥

भीम त्रिलोचन स्वन साथ जय ।
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥

महाभीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥

अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
स्वनारूढ़ सयचंद्रनाथ जय ॥

निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥

त्रेशलेश भूतॆश चंद्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नंद जय ॥

श्री वामन नकुलेश चंद्र जय ।
कृत्यायु किराती प्रचंड जय ॥

रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।
चक्र टुंड दश पाणिव्याल धर ॥

करि मद पान शंभु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ॥

करत कृपा जन पर बहु ढंग ।
काशी कोतवाल अदबंग ॥

दियन काल भैरव जब सोता ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥

जनकर निर्मल होय शरीरा ।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥

श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥

अइलाड़ी के दुख निवारयो ।
सदा कृपाकारी काज संहारयो ॥

सुंदर दास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥

श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥

॥ दोहा ॥

जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट तार ।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार ॥